हज़रत अबू उमामा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि रसूलुल्लाह ﷺ ने इर्शाद फ़रमाया: जिस शख़्स ने अल्लाह तआ़ला ही के लिए किसी से मुहब्बत की और उसी के लिए दुश्मनी की और (जिसको दिया) अल्लाह तआ़ला ही के लिए दिया और (जिसको नहीं दिया) अल्लाह तआ़ला ही के लिए नहीं दिया तो उसने ईमान की तकमील कर ली । (अबूदाऊद: 4681)
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