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Sunday, February 25, 2024

आज कि हदीस
हज़रत उ़म्मार रज़ियल्लाहु अन्हु रिवायत करते हैं कि रसूलुल्लाह ﷺ ने इर्शाद फ़रमाया: दुनिया में जिस शख़्स के दो रुख़ हों (यानी मुनाफ़िक़ की तरह मुख़्तलिफ़ लोगों से मुख़्तलिफ़ क़िस्म की बातें करे) तो क़ियामत के दिन उसके मुंह में आग की दो ज़बानें होंगी । (अबूदाऊद: 4873)
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Saturday, February 24, 2024

आज कि हदीस
हज़रत उस्मान रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि रसूलुल्लाह ﷺ ने इर्शाद फ़रमाया : जिस शख़्स की मौत इस हाल में आए कि वह यक़ीन के साथ जानता हो कि अल्लाह तआ़ला के सिवा कोई माबूद नहीं, वह जन्नत में दाख़िल होगा । (मुस्लिम: 136)
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Friday, February 23, 2024

आज कि हदीस
हज़रत अस्मान रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि रसूलुल्लाह ﷺ ने इर्शाद फ़रमाया: जिस शख़्स की मौत इस हाल में आए कि वह यक़ीन के साथ जानता हो कि अल्लाह तअ़ाला के सिवा कोई माबूद नहीं, वह जन्नत में दाख़िल होगा । (मुस्लिम: 136)
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Thursday, February 22, 2024

आज कि हदीस
हज़रत शद्दाद बिन औस रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि रसूलुल्लाह ﷺ ने इर्शाद फ़रमाया: समझदार आदमी वह है जो अपने नफ़्स का मुहासबा करता रहे और मौत के बाद के लिए अ़मल करे और नासमझ आदमी वह है जो नफ़्स की ख़्वाहिशों पर चले और अल्लाह तआ़ला से उम्मीदें रखे (कि अल्लाह तआ़ला बड़े माफ़ फ़रमाने वाले हैं) । (तिर्मिज़ी: 2459)
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Wednesday, February 21, 2024

आज कि हदीस
हज़रत अबू हुरैरह रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि रसूलुल्लाह ﷺ ने इर्शाद फ़रमाया: ईमान की सत्त्तर से ज़्यादा शाख़ें हैं । उनमें सबसे अफ़ज़ल शाख़ "ला इला-ह इल्लल्लाह" का कहना है और अदना शाख़ तकलीफ़ देने वाली चीज़ों का रास्ते से हटाना है और हया ईमान की एक (अहम) शाख़ है । (मुस्लिम: 153)
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Tuesday, February 20, 2024

आज कि हदीस
हज़रत उमर बिन ख़त्ताब रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि रसूलुल्लाह ﷺ ने इर्शाद फ़रमाया: अगर तुम अल्लाह तआ़ला पर इस तरह तवक्कुल करने लगो जैसा कि तवक्कुल का हक़ है, तो तुम्हें इस तरह रोज़ी दी जाए, जिस तरह परिनदों को रोज़ी दी जाती है । वह सुबह ख़ाली पेट निकलते हैं और शाम भरे पेट वापस आते हैं । (तिर्मिज़ी: 2344)
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Monday, February 19, 2024

आज कि हदीस
हज़रत मुग़ीरा बिन शोबा रज़ियल्लाहु अन्हु फ़रमाते हैं कि मैंने रसूलुल्लाह ﷺ को यह इर्शाद फ़रमाते हुए सुना: अल्लाह तआ़ला ने तुम्हारे लिए तीन चीज़ों को नापासन्द फ़रमाया है । एक (बेफ़ायदा) इधर उधर की बातें करना, दूसरे माल को ज़ाया करना, तीसरे ज़्यादा सवालात करना । (बुख़ारी: 1477)
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